Faridkot Wala Teeka

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पंना ९८४
रागु माली गअुड़ा महला ४
सति नामु करता पुरखु निरभअु निरवैरु अकाल मूरति अजूनी सैभं गुर
प्रसादि ॥
अनिक जतन करि रहे हरि अंतु नाही पाइआ ॥
अनेक ही ब्रहमादी जतन करते रहे हैण परंतू हरी का अंत किसी ने नहीण पाइआ
है॥
हरि अगम अगम अगाधि बोधि आदेसु हरि प्रभ राइआ ॥१॥ रहाअु ॥
हरी का बोध मन बांणी से परे है औ अगाध है ऐसे हरी प्रभू राजा को हमारा
आदेसु है॥
कामु क्रोधु लोभु मोहु नित झगरते झगराइआ ॥
काम क्रोध लोभ मोह आदकि जो आसरी गुन हैण इन के झगराए होए जीव नित
झगरते हैण॥
हम राखु राखु दीन तेरे हरिसरनि हरि प्रभ आइआ ॥१॥
हे हरी हम को रखो दीन हां औ तेरे दास हां हे हरी साम्रथ मैण तेरी सरन आइआ
हां॥१॥
सरणागती प्रभ पालते हरि भगति वछलु नाइआ ॥
हे प्रभू जो तेरी सरण आवता है तिस को तुम पालते हो हे हरी भगतोण का पिआरा
तेरा नाअुण है॥
प्रहिलादु जनु हरनाखि पकरिआ हरि राखि लीओ तराइआ ॥२॥
प्रहलाद जो दास था जब हरिनाखस ने पकरिआ तब हे हरी तैणने राख लीआ औ
संसार थीण भी तारिआ॥२॥
हरि चेति रे मन महलु पावण सभ दूख भंजनु राइआ ॥
हे मन तिसी हरी को चेतु जो सरूप को पावणा चाहता है सो हरी राजा सभ दुखोण को
भंनने वाला है॥
भअु जनम मरन निवारि ठाकुर हरि गुरमती प्रभु पाइआ ॥३॥
जनम मरन के भै को निवारने वाला जो ठाकुर है ऐसा हरि प्रभू गुरोण की मति
करके पाइआ है॥३॥
हरि पतित पावन नामु सुआमी भअु भगत भंजनु गाइआ ॥
हरी सामी का नाम पापीओण को पवितर करता है पुना भगतोण के जनम मरन के
भअु भंजन हारा बेदोण ने गाइआ है अरथात कहिआ है॥
हरि हारु हरि अुरि धारिओ जन नानक नामि समाइआ ॥४॥१॥
जिनोण ने हरि हरि करना एही हाररिदे मैण धारिआ है स्री गुरू जी कहिते हैण जो
नामु जपु कर हरी मेण समाइ गिआ है॥४७॥१॥
माली गअुड़ा महला ४ ॥
जपि मन राम नामु सुखदाता ॥

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