Faridkot Wala Teeka

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रागु कानड़ा बांणी नामदेव जीअु की
ੴ सतिगुर प्रसादि ॥
ऐसो राम राइ अंतरजामी ॥
जैसे दरपन माहि बदन परवानी ॥१॥ रहाअु ॥
हे भाई जनोण अंतरजामी राम राइ ऐसा है जिस प्रकार सीसे के बीच (बदन) मुख
की छाया है सो मुख ही प्रवाण करता है वा देखीता है॥
बसै घटा घट लीप न छीपै ॥
हे सरब घटोण मैण एक रस बसता है लिपाइवान नहीण होता और (छीपै) छपता भी
नहीण है॥
बंधन मुकता जातु न दीसै ॥१॥
बंधनोण से रहित है और (जातु) जनमतामरता भी द्रिसटि नहीण आवता है॥
पानी माहि देखु मुखु जैसा ॥
जिस प्रकार पानी के बीच मुख का प्रतिबिंब देखीता है॥
नामे को सुआमी बीठलु ऐसा ॥२॥१॥
स्री गुरू जी कहते हैण मुझ दास का बीठलु सुआमी ऐसा ही भिंन भिंन प्रतीत हो
रहा है यिह भी पूरबवत द्रिसांतु है॥२॥१॥

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