Faridkot Wala Teeka

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सभ घट तिस के सभ तिस के ठाअु ॥
जपि जपि जीवै नानक हरि नाअु ॥४॥
संपूरन (घट) सरीर तिसी के हैण औ बाहझ सभ असथान भी तिसी के हैण। स्री गुरू
जी कहते हैण हम तो तिस के नाम कौ मन बानी से जप करके जीवते हैण॥४॥ नाम और नामी
का अभेद और नाम का महातमु कथन करते हैण॥
नाम के धारे सगले जंत ॥
नाम के धारे खंड ब्रहमंड ॥
तिसके नाम के धारे हूए संपूरन जीव हैण। और नाम के धारे हूए ही संपूरन खंड
औ ब्रहमंड हैण॥
नाम के धारे सिम्रिति बेद पुरान ॥
नाम के धारे सुनन गिआन धिआन ॥
नाम के धारे हूए ही बेद और पुरान पुना सिंम्रतीआण हैण नाम के धारे ही तिनोण
दारे गान धान कौ सभ सुनते हैण॥
नाम के धारे आगास पाताल ॥
नाम के धारे सगल आकार ॥
नाम के धारे हूए अकास औ पताल हैण। नाम के धारे हूए संपूरन अकार हैण॥
नामके धारे पुरीआ सभ भवन ॥
नाम कै संगि अुधरे सुनि स्रवन ॥
इंद्र आदिकोण कीआण पुरीआण सहित संपूरन लोक नाम के धारे हूए हैण। स्रवण के
साथ वा स्रवण आदी प्रकार साथ जिनोण ने नाम सुनना कीआ है सो अुधरे हैण॥
करि किरपा जिसु आपनै नामि लाए ॥
नानक चअुथे पद महि सो जनु गति पाए ॥५॥
सो वाहिगुरू क्रिपा करके जो जन अपने नाम मैण लावता है । स्री गुरू जी कहते हैण
(चौथे) तुरीआ पद मैण सो जन (गति) इसथिती पावता है॥५॥
रूपु सति जा का सति असथानु ॥
पुरखु सति केवल परधानु ॥
तिस हरी का रूप भी सति है॥ भाव राम क्रिशन आदि औतारोण के तेज मय सरीर
भए हैण। पंच भूतक नहीण हैण। पुना जिसका वैकुंठ असथान भी सतसरूप है पुना सोई सति
रूप सरब संघात मैण केवल (परधानु) मुख रूप है॥
करतूति सति सति जा की बांणी ॥
सति पुरख सभ माहि समाणी ॥
भीलनी द्रोपती आदिकोण पर अुपकार करने की तिस की करतूत भी सत है औरु
तिस की बेद रूप बांणीभी सति है। तिस सति पुरख वाहिगुरू की सज़ता सभ बीच समाइ
रही है॥
सति करमु जा की रचना सति ॥
मूलु सति सति अुतपति ॥

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