Sri Nanak Prakash
१४४३
११. शारदा मंगल इक ग्राम मुनाफिक देश॥
१०ੴੴ पिछला अधिआइ ततकरा अुतरारध - ततकरा पूरबारध अगला अधिआइ ੴੴ१२
{मुनाफिक देश}
{डूम ळ अशरफी दिवाअुणी} ॥९॥
{मुनाफिक देश} ॥३०..॥
{कुदरत दा खेल} ॥५३॥
दोहरा: बानी बरदानी सुमति,
गुन खानी सुख मूर
कज़लानी रानी जगत,
मानी कवि पग धूर ॥१॥
बानी=बाणी=वाच, वाक या सरसती, सारदा, विज़दा दी देवी
बरदानी=वर देण वाली, संभावना है कि मैळ वर देण वाली हो
मूर=मूल, सुख मूर=सुखां दा मूलकज़लानी=(कविता दी)
कुशलता देण वाली सफलता ते निरविघनता दी दाती
रानी=राज करन वाली (अ) प्रकाशमान, विज़दा दे चानंे वाली
धूर=पैराण दी धूड़ ळ सनमान देण तोण मुराद है, अुस दे आअुण दी अकाणखा
विच रहिंा, किअुणकि देव सरूपां दे पैराण ते धूड़ नहीण हुंदी
अरथ: हे सारदा! स्रेशट बुज़धी (ते होर सारे) गुणां दी खां, सुखां दी मूल, कुशलता
देण वाली, जगत विच प्रकाशमान, जिस दे पैराण दी धूड़ कवीआण ने सनमानी
है (मैळ) वरदाती (हो)
ऐअुण बी अरथ लगदा है:-शारदा सुमती दा वर देण वाली है, गुणां दी खां है,
सुखां दा मूल है, (काव दी) कुशलता देण हारी है, जगत दी रानी है,
(जिस दे) पैराण दी धूड़ ळ कवीआण ने सनमानिआ है
श्री बाला संधुरु वाच ॥
रसावल छंद: चले फेर आगै पिखे पाप भागैण१
महां दान दाता सभै लोक खाता ॥२॥
शुभैण संगि२ दोअू बडे भाग जोअू
अयो एक ग्रामं पिखो गान धामं३ ॥३॥
तहां ब्रिज़छ हेरा तहां कीन डेरा
इकंडूम आयो छुधा ते दुखायो ॥४॥
कहे बैन ऐसे पिखोण भूप जैसे
कछू देहु भिज़छा करो पूरि इज़छा ॥५॥
१(जिस गुरू जी ळ) वेखिआण पाप दूर हुंदे हन
२शोभदे हन नाल
३भाव गुरू जी ने