Sri Nanak Prakash

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.१७. गुरू रामदास जी दा मंगल मोदी दी कार आरंभी॥

{मोदी दी कार} ॥१३..॥
{कालू जी सुलतानपुर गए} ॥३६..॥
दोहरा: राम दास श्री सतिगुरू दासन के सुखरास
यम पासन के त्रास कोकरति छिनिक महिण नाश ॥१॥
सुखरास=सुखां दी पूंजी संस: सुख राशि॥
यम पासन=जम दीआण फाहीआण
अरथ: स्री सतिगुर रामदास जी (एथे) दासां लई सुखां दी रास हन, (अते अज़गे
लई) यम दीआण फाहीआण दे भै ळ इक छिन विच नाश करन हारे हन
भाव: श्री गुरू रामदास जी आपणे सिज़खां ळ लोक सुखी करदे हन ऐतनां कि मानोण
सुखां दी रास हन अते अज़गे दा भै वी निवारदे हन, ऐसा अुज़तम आतम
जीवन दान करदे हन कि जमां दी फाही दूर करदिआण छिन नहीण लाअुणदे
श्री बाला संधुरु वाच ॥
सैया: यां बिधि सोण मिलिकै हरखैण
अुर सादर१ सेव भले करिहीण
काल२ बितावहिण दालु महां
सुलतानपुरे सुख सोण फिरिहीण
तारन जाण३ अवतार ध्रो
कलि के४ नर मंद महां जरिहीण५
बासुर एक६ सुसापति७ सोण
भगनी८ मिलि बैसति भे घर ही ॥२॥
पंकज नैन प्रभू गुन ऐन९
भने मुख बैन सुनो मम बानी
कार बिहीन भले नहिण चीन
कहैण परबीन*, सभै जग जानी

१आदर नाल
२समां
३तारन लई जिसने४कलयुग दे
५जो जल रहे हन
६इक दिन
७भणवईआ भाई जैराम
८ते बेबे
९भाव, गुरू जी ने
*पाठांत्र-सु प्रबीन

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