Sri Nanak Prakash
२०२७
५२.गुरू जस महातम होर परतावे तखत देणा, जपुजी महिमा॥
५१ੴੴ पिछला अधिआइ ततकरा अुतरारध - ततकरा पूरबारध अगला अधिआइ ੴੴ५३
{स्री सुलखंी जी दी चिंता} ॥८..॥
{होर परतावे-मरी चूही} ॥१६..॥
{रात समेण बसत्र धों दा हुकम} ॥३०..॥
{णिचज़कड़ विज़च लोटा सुज़टंा} ॥३८..॥
{बूड़ा बाबा बुज़ढा जी दा शंका} ॥५१..॥
{तखत देणा} ॥६६..॥
{लहिंे तोण अंगद} ॥८४..॥
{जपु जी संकलित} ॥९५..॥
{जपुजी महिणमा} ॥९६..॥
दोहरा: करि कागज निज रिदे को मसू सुमज़ति बनाइ
श्री सतिगुर को जसु लिखहि तबहिण परमगति पाइण ॥१॥
कागज=कागत, जिस पर लिखिआ जावे फारसी, काग़॥
मसू-शाही परमगति=पूरन गती, ओह हालत जो सभ तोण अुज़ची ते किसे
गले अूंी नहीण, मुकती
अरथ: (जदोण तूं) आपणे मन ळ कागत बणावेण ते स्रेशट बुज़धी ळ शाही बणावेण (इस
नाल अुस अुज़ते) श्री सतिगुरू जी दा जस लिखेण तदोण ही तूं परमगती ळ
पावेणगा
चौपई:श्री गुर नानक क्रिपा निधाना
इअुण अुपदेशो तज़त गयाना
केतिक बहुर बितायो काला
सेवहि लहिंा भाअु बिसाला ॥२॥
जिअुण तरु शाख१ निवै फल पाई२
तैसी गति लहिंेण ठहिराई
देखि निमरता परम घनेरी
दिन प्रति क्रिपा सवाइ बधेरी३ ॥३॥
अजर जरन लछन पहिचाना
अधिक प्रसीदे श्री गतिदाना
इस बिधि को रु जो गुर केरा
दिन प्रति बधै सरब नै हेरा ॥४॥
मिलिहिण परसपर कहैण बनाई
१ब्रिज़छ दी टहिंी
२फल पाके
३सवाई वधी