Faridkot Wala Teeka

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हे भाई जब त्रेता जुग आइआ तब भेद बाद ने सरीरोण मैण बल पाइआ जत औ
इंद्रीओण का संजम रूप करम कमावते थे॥२॥
जुगु दुआपुरु आइआ भरमि भरमाइआ हरि गोपी कान अुपाइ जीअु ॥
हे भाई जब दुआपर जुग आवता भा तब सभ जीवोण का मन भरम से भरमाइ
लीआ तब हरि ने आप ही गोपी और क्रिशन रूप हो कर अुतपंन कीआ है॥
तपु तापन तापहि जग पुंन आरंभहि अति किरिआ करम कमाइ जीअु ॥
(तापन) अगनी मैण भाव धूंीओण के बीच वा सूरज के सनमुख बैठ के तप करते थे
और पुंन रूप यगोण के अरंभ करते थे पूजा करम कोअतसै करके कमावते भाव करते थे॥
किरिआ करम कमाइआ पग दुइ खिसकाइआ दुइ पग टिकै टिकाइ जीअु

जीवोण ने किरिआ पूजा आदि करमाण को कमाइआ धरम के दो चरनोण को रिदे से
(खिसकाइआ) निकलाइ दीआ भाव दूर कर दीआ परमेशर दे टिकाए हूए दो चरन टिक
रहे हैण॥
महा जुध जोध बहु कीने विचि हअुमै पचै पचाइ जीअु ॥
हे भाई बड़े जुध (जोध) सूरमिओण ने हंकार मेण कीए आप पच करके औरोण को भी
पचाअुते भए अरथात आप भी नास भए औरोण को भी भारथादि जुध मेण नास कीआ॥
दीन दइआलि गुरु साधु मिलाइआ मिलि सतिगुर मलु लहि जाइ जीअु ॥
जिनको दीन दाल ने गुरू साधू मिलाया सतिगुर मिलने से तिनकी हअुमैण मैल
दुआपर मेण भी दूर हो जाती भई॥
जुगु दुआपुरु आइआ भरमि भरमाइआ हरि गोपी कान अुपाइ जीअु ॥३॥
जब दुआपर जुग आइआ तब जीवाण के मन को भरम ने भरमाइ लीआ हरी ने
आपको गोपी अर कान रूप करके अुतपत कीआ॥३॥
पंना ४४६
कलिजुगु हरि कीआ पग त्रै खिसकीआ पगु चअुथा टिकै टिकाइ जीअु ॥
हे भाई जब हरि ने कलजुग का समय कीआ तब सत पूजा धरम के तीनोण पग
खिसक गए परमेशर दा टिकाइआ हूआचौता पग टिका रहा॥
गुर सबदु कमाइआ अअुखधु हरि पाइआ हरि कीरति हरि सांति पाइ जीअु

हे भाई इस कलजुग मैण जिनोण ने गुरोण का (सबदु) अुपदेश कमाइआ है तिनोण ने
गुरोण से हरि नाम औखध को पाइआ है पुना हरि की कीरत करते तिनोण ने हरी से सांत
पाई है॥
हरि कीरति रुति आई हरि नामु वडाई हरि हरि नामु खेतु जमाइआ ॥
हे भाई कलजुग होर के कीरतन की रुत आई है इस मेण हरि नाम ही की
वडिआई है गुरमुख ने हरि हरि नामु का खेतु जमाइआ है भाव रिदे मैण नाम धारन
कीआ है॥
कलिजुगि बीजु बीजे बिनु नावै सभु लाहा मूलु गवाइआ ॥
जो बिनां नाम के कलिजुग मेण और बीज बीजते हैण तिनोण ने सभ लाहा और मूल
खोइआ है॥

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