Sri Nanak Prakash

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-सु किंकर१ के भ्रम जास२ बिगोए३
परमेशुर श्री गुर नानक सो
जिन* भेद न मज़ध तरंगह तोए४- ॥९॥
सैया: चित प्रीति की रीति चितैण५ नित ही-भव६ मैण भव७ श्री गुरु को बिधि८ लीनो?
पुन बाल जुवा के९ बिलास१० जेअू
इतिहास कहै सिख कौन प्रबीनो११?
सभि देश बिदेशन१२ को रटनो१३
कटनो कुटिल१४ बड दंभ१५ जु कीनो
चित चिंतति देति अचिंततता
जोअू बैस इकंत गुरू रस भीनो- ॥१०॥
दोहरा: श्री गुर बर१६ सरबज़ग१७ अुर,
डर१८ हरि१९ अरु जुर तीन२०
पढहि सुनहि सिख होइ गति,२१
रिदे मनोरथ कीन ॥११॥


*१दासां भाव सिज़खां दे
२जिन्हां (गुरू नानक देव) ने
३भ्रम दूर कीते
*पाठांत्र-जिम
४जिन्हां दा वाहिगुरू नाल भेद नहीण जीकूं जल ते लहिराण दा फरक नहीण
५चितवदे हन (दूजे गुरू जी)
६संसार
७जनम
८किस तर्हां
९जुआनी दे
१०कौतक बचन, आदि हाल
११चतुर
१२देशां प्रदेशां
१३फिरना
१४पाप
१५पखंड
१६श्रेसट
१७अंतरजामी
१८दिल दा डर
१९दूर करदे हन
२०अते तिंने ताप
२१मुकत

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