Sri Nanak Prakash

Displaying Page 219 of 1267 from Volume 1

२४८

८. गुर सिज़ख दा मंगल मुज़लां प्रति अुपदेश॥

बान जिम लछ पर, बीरभज़द्र दज़छ पर
कबिज़त:
नदी मध मछ पर, दास जाल पान है
शेर जिम भज़छ पर, बाज जिम पज़छ परचंडि बिड़ालछ पर, कीन दुति हान है
राम छितपाल पर, राम सुर-साल पर
राम मघपाल पर, जैसे सावधान है
शज़क्र जिम कोह पर, चज़क्र हरि द्रोह पर
गुरू सिज़ख मोह पर तैसे बलवान है ॥१॥
बान=तीर लछ=निशाना संस: लकश॥
बीर भज़द्र=शिव जी दा इक गण शिव गण
दज़छ=शिवजी दा सहुरा, कनखल विच जिसदा टिकाणा है इह आरय कुल दा
राजा सी, ऐसा प्रतीत देणदा है कि शिवजी पहिले हिंद वासीआण दा राजा सी जिन्हां
तोण आरय सूग करदे सन दज़छ दी लड़की पारबती ने इस ळ पती चुंिआण जदोण
दज़छ ने यज़ग विच शिवाण दी योग पूजा ना कीती तां पारबती सड़ मोई, ते दंड देण
वासते शिव ने इक गण घज़लिआ, अुस कथा वज़ल इशारा है संस: दकश॥
मज़ध=विच मज़छ=मज़छीआण दास जाल पान=जाल पाअुण वाला दास, भाव झीवर
(अ) दास=झीवर, जिवेण नदी विच झीवर मज़छ अुते जाल पाअुण (विच समरज़थ) है
भज़छ=कोई चीग़ जो खां योग है, शिकारसंस: भकश॥
बाज=इक शिकारी पंछी फारसी, बाग़॥
पज़छ=पंछी, चिड़ीआण संस:पकशी॥ चंडि=चंडी
बिड़ालछ=विडाल अकस-बिज़ले वरगीआण अज़खां होण जिसदीआण इक राकश दा
नाम बिड़ालाकशी=इक राखशी
दुतिहान है=सुंदरता नाश कीती, भाव अुन्हांमार घज़तिआ जे पाठ द्रत हान
होवे तां अरथ बणेगा-छेती नाश कीता
राम=राम त्रै होए हन, परसराम, रामचंद्र ते बलराम, इथे राम दा अरथ
परसराम है जिस ने त्रेता जुग विच खज़त्री जात दे राजे मारे
छितपाल=धरती दे पालं वाले; भाव राजे मुराद खज़त्री राजिआण तोण है जो देश
दे मालक सन
राम=दूसरा राम, दशरथ दा पुज़त्र-श्री रामचंद्र
सुरसालु-देवतिआण ळ सताअुण वाला, रावं
राम=तीसरा राम, बलिराम, क्रिशन जी दा भरा जो दापर विच होइआ है, जिस
ने जरासिंध ळ मारिआ सी

Displaying Page 219 of 1267 from Volume 1