Sri Nanak Prakash

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हमहिण सुनो क्रित तजि१ दई ॥९४॥
दोहरा: अधिक कीन अपसोस२ हम,
तुम अुपकारि सरीर
क्रिति लीनी हरखे सुनति,
वधीए गुनी गहीर३! ॥९५॥
जथा अुचित४ सनमान५ कै,
बिदा कीनि गुन ऐन
करन लगे मोदी किरत,
पूरब जिअुण६ मन भै न७ ॥९६॥
इति श्री गुरु नानक प्रकाश ग्रंथे पूरबारधे लेखा करन प्रसंग बरनन
नाम अशट दसमो अधाय ॥१८॥


१छज़ड
२अफसोस
३हे गुणां दे समुंदर जी!
४जिवेण योग सी
५आदर दे के
६पहिले सम
७निधड़क हो के

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