Sri Nanak Prakash

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हेरति हैण नकुला१ सभि ई
सुरभी२ होइ सामुहि खीर पिआई३
सुंदर मंद४ समीर५ बही*
अविलोक बरात६ रही हरिखाई ॥४९॥
सोरठा: चले परम सुख पाइ, बाजहिण घंटे गजन के७
घुणघरू छरनन८ लाइ
राजहिण रथ साजहिण९ तुरंग१० ॥५०॥
दोहरा:मुझ को राखो संगि निज११, खरच प्रिथक१२ कछु देय

सुनिये श्री अंगद गुरू कथा, सार रस लेय ॥५१॥
सैया: होति कुलाहल बादित१३ बाजित१४
आइ गए सभि तीर बिपासा१५
केवट१६ को धन दीन तबै
तरनी१७ तिन कीनि संबूह सु पासा१८
गै१९ रथ बाज२० समाज तुखार२१
भरे सकटे१ वसतूनि जे रासा२


१निअुल तज़कदे हन
२गअू
३साहमणे हो के (वज़छे ळ) दुध पिलाअुणदी है
४हलकी हलकी
५हवा
*एह सारे शुभ शगुन गिंे हैन
६जं
७हाथीआण दे
८झुनकार
९सजे होए
१०घोड़े
११आपणे नाल
१२वज़खरा
१३वाजे
१४वजदे
१५बिआस किनारे
१६मलाह
१७बेड़ी
१८नेड़े
१९हाथी
२०घोड़े
२१अूठ

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