Sri Nanak Prakash

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चौपई: बाला अर मरदाना दोअू
भए तयार चलन को सोअू
तूरन गए न करी अवारू१
नगर* एमनाबाद मझारू२ ॥४८॥
जहिण बैसे अघ३ ओघ४ निकंदन५
जाइ करी जुग६ पद७ पर बंदन
चित महिण चिज़त८ नित करतारे
बूझी९ कुशल छेम सतिकारे ॥४९॥
खुशी सकल है राइ सरीरू
सुनि बाला बोलो अुर धीरू॥
तुमनै सभिहि कुशल करि दीनी
राइ बिनै रावर सोण१० कीनी ॥५०॥
दोहरा: कर बंदे बंदन करी, रिदै भयो अति दीन
तुम दरशन की लालसा, कमल११ अरक जिअुण हीन१२ ॥५१॥
चौपई: करहु मनोरथ पूरन तिस को
पद१३ पंकज महिण प्रेमं जिस को
जिअुण सुकता१४ सागर पर तरिही
सांति बूंद तिह मुख महिण परिही ॥५२॥
तिअुण तुम अपना बिरद संभारी
चलि करि दरशन दिहु इकवारी


१देरी न लाई
*पा:-गमने
२विच
३पापां दे
४समूह ळ
५नाश करन वाले
६दोहां ने
७चरनां ते
८चेते
९पुज़छी
१०आप अज़गे
११(जिवेण) कमल
१२दी (हुंदी है) सूरज बिनां
१३चरण१४सिज़पी

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