Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि ६) ३१३
३८. ।करीम बखश हज़ले लई तिआर होया॥
३७ॴॴपिछला अंसू ततकरा रासि ६ अगला अंसू>>३९
दोहरा: दौरि गए दै दास तबि, जहि थिर अबदुलखान।
देखहु कहां नबाब जी! बिगरो काज महान ॥१॥
तोटक छंद: तुव नदन चंद मनिद हुतो।
रिपु ब्रिंदनि कंदति सो पि हतो१।
घमसान घनो करि जंग मही।
पिछवाइ हटो इक पैर नहीण ॥२४॥
अरजे सर ते२ बरजे तरजे३।
कटि आपि गिरो पुरजे पुरजे।
बहु बीर मरे तिह संग तहां।
गन लोथ परी बहि श्रों४ महां ॥३॥
सुनि स्रोन५ नबाब शिताब तबै।
सम बाणन लगे तिस बैन सबै।
रुदनति बडो बिरलाप करै।
त्रिपतो नहि देखि, लखो न मरै६ ॥४॥
गमनोण किस थानहि प्रान तजे।मुझ छोरि गयोण रण ते न भजे।
किम जाइ लरो? नहि पाछि रहोण।
तुझ जाति बडो समुझाइ कहो ॥५॥
लघु नदन आइ गयो सुनि कै।
समुझाइ पिता कहु, यौण भनि कै।
बिरलापति आप, निलायक तैण७।
सभि लोक निहारति नायक तैण८ ॥६॥
अबि धीर धरो, नहि जोग तुमैण।
१मारदा होइआ सो बी मारिआ गिआ।
२तीराण नाल विंन्हे। ।हिंदी, अरजना, अरुझना = फसा लैंा। संस: अरज = प्रापतक:॥ (अ) अरि
जे = जो वैरी सन तीराण नाल।
३रोकके ताड़े।
४लहू।
५कंनीण।
६(मैण तां हे पुज़त्र तैळ) वेखके रज़जिआण वी नहीण सां, (मैण) ना लखिआ कि (तूं अज़ज ही) मर जाएणगा।
७इह तेरे लाइक नहीण।
८सारे लोक तैळ (सारी फौज दा) सामी वेखदे हन।