Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (ऐन १) ३१८

करि करि सैल बिलोके थान।
अुतरे आनि गुरू भगवान।
तहि डेरे को कीन मुकामू।
देखो जहि कहि थल अभिरामू ॥४२॥
इति श्री गुर प्रताप सूरजग्रिंथे प्रिथम ऐने बघौर नगर प्रसंग
बरनन नाम अशट त्रिंसती अंसू ॥३८॥


करदे सन अुहनां नाल ही जुज़ध मचदा सी। प्रजा दा अति लिहाग़ करदे से, जो इस प्रसंग तोण
रौशन है।

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