Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) ३२७

सहिज सुभा सादे लिबास विच मन नीवेण नाल भगती भाव विच जाण
दी रोक होई नहीण जापदी।

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