Sri Gur Pratap Suraj Granth

Displaying Page 40 of 626 from Volume 1

स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) ५५

लखो = देखके। सु = चंगे, मुराद है वज़डे, बहुते।
दैत = दैत-कशट। ।संस:धातू-दी = कज़टंा।
दिति = कज़टं दी क्रिआ, भाव दुख, कशट॥।
दैत = राखश (अ) देणदे सन।
बिदारिबे = विनाश करणा। नर सिंघ = नरसिंह अवतार।
बलीन = बाली ळ। बाली किशकिंधा दा बंदर राजा सी, सुग्रीव दा वडा भरा
ते अंगद दा पिता सी, इस ळ राम जी ने मारिआ सी। ।बाली+न = ळ॥।
(अ) बलवानां ळ। जुहार = नमसकार
बलीन = सुग्रीव ।बाली+ईन = जो बाली दी ईन मंने सो सी-सुग्रीव॥
(अ) बलवानां तोण। (ॲ) राखश। भाव कुंभकरन आदिक बलीआण (राखशां)
ळ हार दिज़ती ते अुसे दे भरा अुसे राखश जाती दे विभीखन तोण अपणी पूजा
करवाई।
लका पति = लका पती, रावन। राम = राम चंदर जी।
नरसिंघ = नर शेर, शेर नर, बली शेर।
कुपित = गुज़से होए। ।संस: कुपित॥।
कुपत = पद-कुरुपति-दा संखेप है। कुरु+पति = कुरू नामेण देश दे राजे।
भाव-कैरव। कुरु राज, कुरू राजा, कुरुपति = दरयोधन दी बी अज़ल है जो कैरवाण दा
सरदार सी। (अ) कुपज़ते लड़ाके।
कुपति = कु+पति = प्रिथवी दा पती = राजा, भाव कंस।
।संस: कु= प्रिथवी। पति = सुआमी, राजा॥।
(अ) बेइज़ग़त। करे है कुपति कूर = कीते हन कूर पुरख बेइज़ग़त।
कूर = क्रर = खोटे, भैदायक, ग़ालम। हेरि = देखिके।
हरि = क्रिशन। हहिरे = डरे। म्रिग = हरन।
सिंघ = शेर। तैसे तेज तर ते = तैसे तेज ते तर।
मुराद है:- नर सिंघ राम क्रिशन वाणू है, पर अुहनां दे तेज तोण वधीक तेज
वाला है।
तुरक तरु = तुरक ब्रिज़छ-मुराद है तुरकाण दे राज रूपी ब्रिज़छ ळ।
जनम = अवतार।
अरथ: प्रहलाद (भगत) ळ वडे कशट विच देखके (कशट देण वाले) दैणत दे नाश
करने (अर प्रहलाद ळ) अनद देणे लई (जैसे) नर सिंघ दा रूप (होइआ
सी,) बाली ळ हार देके, सुग्रीव तोण नमसकार लैके रण विच रावं ळ मारन
लई राम जीकूं शेर नर (सी,) जिवेण (डरदे हन) शेर ळ वेखके म्रिग
(तिवेण) डरे सन (सारे) क्रिशन ळ वेखके (जिस ने) कैरवाण ते क्रोध कीता (ते
कंस वरगे) राजे ळ नाश कीता, तिवेण (ही, पं्रतू) वधीक तेज वाला होइआ
अवतार श्री गुरू गोबिंद सिंघ जी दा (इस) जगत विच तुरकाण(दे राज
रूपी) ब्रिज़छ ळ तोड़न लई।

Displaying Page 40 of 626 from Volume 1