Sri Gur Pratap Suraj Granth

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स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १) ४४३

भुजा भुजंगराज से१ निकसे।
महिद तलाअु बिलोचन बिकसे ॥१२॥
रकत बरन श्रोंत के पूरे।सैल दघध जनु आइ हदूरे२*।
निद्रा जोग बिखै गोसाईण।
लखि बिधि ने३ तबि कीन अुपाई ॥१३॥
सतुत महां माया की ठानी+।
अुतपत सथित हतन जग रानी४।
निद्रा रूप भगवती महां।
साहा सुधा बखटक्रित अहा५ ॥१४॥
र्री श्री परम ईशुरी पुशटी६।
सरब चराचर रूपां तुशटी७।
खड़गनि सूलनि चज़क्रनि घोरा८।
महां नादनी९ संखन शोरा ॥१५॥
परम सुंदरी नमो हमारी।


१बाहवाण शेशनाग वत।
२मानोण दग दग करदे (भाव बलदे) पहाड़ साम्हणे आए।
*पा:-अदूरे।
३ब्रहमां ने लख के।
+पा:-आदि शकति दी अुसतति ठानी।
४पैदा करन, पालं ते मारन वाली हे जगत दी राणी।
५साहा = देवतिआण नमिज़त अहूती देके इह शबद अुचार हुंदा है, ।संस:-साहा॥। (अ) इह
अहूती-वकतीवान वी समझदे हन, ते इस ळ अगनि देवता दी इसत्री आखदे हन, इस दा
सरीर चार वेदां दा, ते इस दे अंग छे अंगां दे बणे दज़सीदे हन। (ॲ) साहा ळ रुद्रा पशुपती दी
इसत्री वी कहिणदे हन।
सुधा = सधा, -इक शबद जो पित्राण नमिज़त अहूती देके अुचारदे हन। मळ अनुसार इस दा
अुचारणश्राध करन वाले लई बहुत गुणकारी है (मळ ३.२५२)। (अ) दकश दी इक कंनिआण जो
पितराण दी इसत्री कही गई है। कई वेर अंगिरा, रुदर ते अगनी दी इसत्री ळ बी सधा
किहा गिआ है।
बखट = वखट, -वखट शबद देवतिआण ळ अहूती दे के अुचारदे हन। इह पद वेदक
यज़गां विच वरतीणदा सी। (अ) ३३ देवतिआण विचोण इक दा नाम जो वेदक देवते कहीदे हन।
वखटक्रित = वखट शबद कहिके अगनी विच दिज़ती गई अहूती। परंतू इथे कवि जी दी मुराद
इह है कि अुह देवी दे नावाण विच इह बी अुसे दे नाम गिं रहे हन।
६देवी दे नाम हन। पुशटी = वडी या मोटिआण करन वाली।
७प्रसंन रूप।
८तलवाराण त्रिसूलां भिआनक चज़कराण वाली या नाल।
९बड़ी धुन करन वाली।

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