Sri Guru Granth Darpan

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सन, उह भगत जी दे इस अख़ीरले शबद गहु नाल पड़्हन । भगत प्रहिलाद दी साखी हिंदू-
ख़िआल अनुसार सतिजुग विच होई है, पर नामदेव जी लिखदे हन राजा रामि माइआ फेरी ।
इॱथे नामदेव जी अवतार स्री राम चंदर जी दाज़िकर नहीं करदे, किउंकि उह तां तेते जुग विच
प्रहिलाद भगत तों दूर पिॱछों होए सन । नामदेव जी दा राम उह है जो हर समे ते हर थां मौजूद
है ।

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लफ़ज़ बीठुल तों भुलेखा

भगत नामदेव जी दे शबद स्री गुरू गं्रथ साहिब विच तां ही दरज हो सकदे सन, जे इहनां दा आशा
सतिगुरू जी दे आशे नाल पूरन तौर ते मिलदा सी । गुर-आशे नाल मेल नाह खाण वाली बाणी
गुरमति दे दिशटी-कोण तों कॱची बाणी कही जाएगी । कॱची बाणी दा गुरू ग्रंथ साहिब विच
किते थां नहीं हो सकदा । नहीं तां समुॱचे तौर ते इस लई गुरू-पद वरतिआ नहीं जा सकेगा,
किउंकि गुरू तां सिरफ़ उही है जिस विच उकाई दी कोई गॱल नहीं, जो हर गॱले संपूरन,
सोहणा ते अभुॱल है । सो, भगत नामदेव दी किसे कॱची अवसथा दी कोई कविता स्री गुरू ग्रंथ
साहिब विच नहीं मिल सकदी ।

इह मुमकिन हो सकदा है कि नामदेव जी ने कदे किसे समे किसे मूरती दी पूजा कीती होवे, जिस दा
नाम भी भावें बीठुल ही होवे । पर असाडा सिदक सिरफ़ इस गॱल ते है कि नामदेव जी दी
मूरती-पूज अवसथा दी किसे कॱची बाणी स्री गुरू गं्रथ साहिब विच थां नहीं मिल सकदी सी,
नामदेव जी ने भावें उह किसे भी कारन करके लिखी होवे । असाडा दूजाविशवास इह है कि
नामदेव किसे मूरती-पूजा विचों परमातमा नहीं मिलिआ, किसे ठाकुर दुॱध पिलाइआं
परमातमा दे दरशन नहीं होए । नामदेव जी दे लफ़ज़ बीठुल वरतण तों इह अंदाज़ा लाणा कि
नामदेव बीठुल-मूरती दा पुजारी सी, भारी भुॱल है, किउंकि इह लफ़ज़ तां सतिगुरू जी ने भी
वरतिआ है । की इस तर्हां सतिगुरू जी भी किसे समे बीठुल-मूरती दे पुजारी कहे जाणगे? वेखो

नामु नरहर निधानु जा कै, रस भोग एक नराइणा ॥
रस रूप रंग अनंत बीठल सासि सासि धिआइणा ॥२॥२॥ {रामकली महला ५ छंत

सभ दिन के समरथ पंथ बिठुले हउ बलि बलि जाउ ॥
गावन भावन संतन तोरै चरन उवा कै पाउ ॥१॥रहाउ॥१॥३८॥६॥४४॥ {देवगंधारी महला ५
घरु ७

भइओ किरपालु सरब को ठाकुरु, सगरो दूखु मिटाइओ ॥
कहु नानक हउमै भीति गुरि खोई, तउ दइआरु बीठलो पाइओ ॥४॥११॥६१॥ {सोरठि महला ५

ऐसो परचउ पाइओ ॥
करी किपा दइआल बीठुलै, सतिगुरु मुझहि बताइओ ॥१॥रहाउ॥१२३॥ {गउड़ी महला ५

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