Sri Nanak Prakash

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१२. प्रभू मंगल अज़ग नाल सड़न वाले, समुंद्र नाल ढहिं वाले नगर ते
हारू देश दा प्रसंग॥
११ੴੴ पिछला अधिआइ ततकरा अुतरारध - ततकरा पूरबारध अगला अधिआइ ੴੴ१३
{अज़ग नाल सड़न वाला नगर} ॥१०..॥
{दैणत दा अुधार} ॥१९..॥
{समुंद्र नाल ढहिं वाला नगर} ॥४४..॥
{गुर की करनी काहे धावहु?} ॥५५..॥
{हारू नगर} ॥६०..॥
{सरेवड़े दी कला खिज़ची} ॥६१..॥
{नाम सज़चा मोती} ॥९३..॥
दोहरा: पिंगल परबत पर चढै,
गुंग होइ बाचाल
काइर है भट जै धरै,
करै जि क्रिपा क्रिपाल ॥१॥
पिंगल=पिंगला (लगड़ा), जिस दे पैर ना होण जिस दे हज़थ पैर दोइ न
होण संस: पणग प्रक्रित, पणगलुअ, पंजा: पिंगला॥गुंग=गुंगा, जो बोल ना सके फारसी, गुंग॥
बाचाल=जो बोल सके, जो खुज़ल्हा बे अटक बोल सके संस: वाचाल॥
भट=सूरमां जै धरै=फते पावे
क्रिपाल=क्रिपा करन वाला, मुराद वाहिगुरू तोण है
अरथ: जे क्रिपाल (वाहिगुरू) क्रिपा करे (तां) पिंगला पहाड़ अुते चड़्ह (सकेगा),
गुंगा बोलं वाला हो जाएगा, काइर सूरमा हो के फते प्रापत करेगा
भाव: इस दोहे विच धनी इह है कि मेरे पर वाहिगुरू दी क्रिपा होवे जो मैण
आपणे परबत समान कठन कंम ळ सिरे चाड़्ह सकाण, मैण जो कविता विच गुंग
समान हां कलावान हो करके अुज़तम काव लिखां, विघनां दे भै तोण जो डरदा
हां, सूरमां हो के कामयाबी रूपी फतह प्रापत कराण
श्री बाला संधुरु वाच ॥
चौपई: अनत देश सतिगुरू सिधारे
संत मंद मति जाणहि अुधारे
मैण१ पुन दुतिय संग मरदाना
अनुसारीअनु२ करहिण पियाना३ ॥२॥
मारग चलति ग्राम इक हेरा
तहिण तरु१ के तर२ कीन बसेरा

१बाला
२अनुसारी हो के३पिज़छे जाणदे सां

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