Sri Nanak Prakash

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आगै पावक रोस बहूती१
बचन घ्रिज़त जनु दीनि अहूती२ ॥२९॥
अरुनबेख३ करि मलक अलावै४
अबहि बुलाए, जे नहिण आवै
बहु नर जावहु गहि आनीजै५*
दिज के संग, बिलम नहिण कीजै ॥३०॥
दोहरा: ले करि पांच क६ मनुज पुन, दिज तब गयो रिसाइ
अूचे बचन अुचारि कै, नानक लए बुलाइ ॥३१॥
चौपई: मलक रोस तुझ पर बहु कीनो
चलहु संग भलि बिधि७ मन चीनो८
नातुर तुम को गहि ले जावहिण
हेरहु नर९ नहिण बिलम लगावहिण१० ॥३२॥
बिगसे११ श्री प्रभु सुनि बच ऐसा
चले संग जहिण भागो बैसा
मति मंदन को लजति करने
सरब गरब तिणह अुर को हरने१२ ॥३३॥
श्री गुरु गवने जाइण१३ अगारी१४
लालो चलो सशंक१५ पिछारी१६
दिज अर मनुज जाहिण संग लागे१गुज़सा रूपी अगनी बहुती सी
२(चुगली दे वाक घिअु दी अहूती मिल गए
३लाल सरूप (चिहरा)
४किहा
५फड़ लिआओ
* ा:-बहुर न आवै गहि आनीजै
६पंज
७चंगी तर्हां
८समझ लओ
९देखदे हो मनुख
१०एह देर नहीण लांगे
११हज़से
१२दूर करन लई
१३टुरे जाणदे हन
१४अज़गे
१५संसे नाल, डरदा होया
१६पिज़छे

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