Sri Gur Pratap Suraj Granth
स्री गुर प्रताप सूरज ग्रंथ (राशि १२) २६
२. ।बिशन सिंघ दी कावरूं देश ते चड़्हाई॥
१ॴॴपिछला अंसू ततकरा रासि १२ अगला अंसू>>३
दोहरा: भयो नुरंगा शाह जबि, जीते देश अशेश।
लशकर करो बिसाल जिन, दे करि त्रास विशेश ॥१॥
चौपई: वहि शमशेर कचहिरी माहूं।
धरी रहहि को गहहि न ताहूं।
मान सिंघ को नाती१ भयो।
बड मरातबा जिस को दयो ॥२॥
देश बिसालै दरब बिसाल।
लशकर बडो चढहि तिस नाल।चहति नरंगा तिसै चढायो।
सादर दल बल देति बढायो ॥३॥
दाव घाव सोण करि बडिआई।
कहि करि तिस ते सो अुठिवाई।
आदर दरब दीनि बहुतेरा।
करो पिछारी कटक२ घनेरा ॥४॥
सदा आफरीण कहि कै शाहू।
चढिबै को दीनसि अुतसाहू।
हटो न जाइ शाह के कहे।
मरनि मानि कै सो असि गहे३ ॥५॥
रुखसद होइ शाहु ते चलो।
आइ जोध पुरि* सभि सोण मिलो।
-देश कावरू करनि चढाई-।
जबि अपने परिवार सुनाई ॥६॥
महां शोक होयसि रनवासू।
१पौता।
२फौज।
३मरना मंनके सो तलवार फड़ी।
*जोधपुर दा कोई राजा इस समेण बिशन सिंघ नाम दा नहीण होइआ। बिशन सिंघ जैपुर दे राजा
राम सिंघ दा बेटा सी, जो श्री गुरू नावेण पातशाह जी दे जोती जोत दे समेण निआणा सी। कवि जी
लिखदे हन मान सिंघ को नाती भइओ (अंक २ इसे अंसू दा) जिस दा मतलब है कि आसाम
पर चड़्हने वाला राजा इस समेण मान सिंघ दी वंश विचोण सी। मान सिंघ जै पुर दा राजा सी। सो
जोध पुर लिखिआ जाणा, कवि जी दी कलम अुकाई है या लिखारी दी। गुरू घरनाल संबंध बी जै
पुर पतीआण दा विशेश रिहा है।